
आज पंख खोलकर हवा में उड़ जाने दो
आज तन्हाइयों में, फिर चैन से मुस्कुराने दो
गिरता, संभालता, बहकता, आज यहाँ तक आया हूँ
आँखों में चाहत का अरमान लिए, परछाई महबूब की लाया हूँ
गरजता हुआ ये सावन, और महकशी में डूबती आँखें
नशे में चूर हुआ मैं, जाम सी महकती उनकी बातें
क्या ये मदहोशी उनसे पहली मुलाकात की तो नहीं
ये शबनम, महक, रौशनी का मंज़र, नशीली रात तो नहीं
सिर्फ एक मौका मिल जाये, तो हाल ए दिल बयान कर दूं
आँखों का आँखों से मिलन करके, अपने प्यार का इज़हार कर दूं
good feelings ...
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