Saturday, July 10, 2010

गुरूजी आपने जीना सिखा दिया


सद्गुरु श्री श्री रविशंकर, एक ऐसा नाम जिनके बारे में कुछ कहना शायद सूर्य को प्रकाश दिखने जैसा लगता है|
जिनकी हिंसा रहित, चिंता रहित विश्व निर्माण की परिकल्पना लाखो लोगो की प्रेरणास्रोत बनी है | श्री श्री ने सभी
जाती, धर्म, मजहब, संप्रदाय के लोगो को एक करके उनमे मानवीय मूल्यों को उजागर करने और सबके चेहरे पर
आनंद की मुस्कराहट लाने का न सिर्फ बीड़ा उठाया है अपितु इसमें सफल भी रहे हैं | दक्षिण भारत में जन्मे और
व साधारण से रहने वाले श्री श्री विश्व के असंख्य लोगो के दिल में इस तरह राज कर रहे हैं मानो भय, आतंक, लड़ाई,
लोगो के जीवन से कोसो दूर हो गयी हो |

श्री श्री कहते हैं - "जब तुम सहज होते हो, तुम बहाने नहीं करते, तब तुम ईश्वर के करीब होते हो |"
पर इस आधुनिक व भौतिक सुख सुविधाओ से भरे युग में रहन सहन की पद्धति को आरामदायक बनाया
ज़रूर है, पर न जाने मनुष्य की सहजता कहाँ खो गयी है | आज सहजता में रहना कठिन है, पर आडम्बर
उतना ही आसान, आज हमने अपनी मुस्कुराहट को महंगा कर लिया है और गुस्से को सस्ता जबकि होना
ठीक इनका विपरीत चाहिए | अपना जीवन हमने इतना तनावपूर्ण और दुखमय कर लिया है की चैन की
सांस लेना तो हम भूल ही गए हैं |

संसार की इसी एक सामान्य समस्या को ख़त्म करने के लिए और लोगो के मन मस्तिष्क को रहत पहुचने
के लिए श्री श्री ने ' दि आर्ट ऑफ़ लिविंग ' ( जीवन जीना की कला ) की नींव राखी | वैदिक ज्ञान,
आधुनिक विज्ञानं और अपनी अनुपम कृपा का मिश्रण कर जिस कोर्स की शैली उन्होंने तैयार की है वो निसंदेह ही आश्चर्यजनक है | मात्र २२-२४ घंटे के इस शिविर से अद्भुत आनंद की प्राप्ति होती है | शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और व्यक्तिगत स्तर में इतना सुधार होता है की पहले जी रहे जीवन की अपेक्षा अबका जीवन उल्लासपूर्ण हो जाता है | साधना, सेवा, सत्संग व् समर्पण से छवि खिल जाती है | दुःख, तकलीफ, चिंता किसके जीवन में नहीं आती, पर इस तनावपूर्ण वातावरण में भी हसना 'आर्ट ऑफ़ लिविंग' है | शिविर में सिखाये गए प्रयोग, श्वांस प्रक्रिया का रोजाना २०-३० मिनट अभ्यास करने से ही रोग मुक्त शारीर और तनाव मुक्त व्यक्तित्व की प्राप्ति होती है | जो की हर मनुष्य का जन्म सिद्ध अधिकार है | रक्तचाप, डायबटीज, हृदयरोग और अस्थमा आदि में काफी लाभ होता है |
इसी राह के साथ आज शायद बड़े बड़े देशों से छोटे छोटे कस्बों तक, उद्योग जगत से साधारण व्यक्ति तक 'आर्ट ऑफ़ लिविंग' ने अपनी पहुँच बनाई है | गुरूजी का मकसद पुरे देश को, विश्व को प्रेम के एक सूत्र में बांधना है - 'वसुधैव कुटुम्बकम' | इसी उद्देश्य से उन्होंने १५७ से भी ज्यादा देशों में इस ज्ञान को, प्रेम के सार को पहुँचाया है | 'आर्ट ऑफ़ लिविंग' को विश्व की सबसे बड़ी गैर सरकारी संस्था होने का महारथ हासिल है | इसका अनुभव करने वाले श्री श्री को अपने दिल के सिंहासन पर इश्वर का ताज पहनाते हुए बैठाते हैं | श्री श्री में यीशु का प्रेम, बुद्ध का मौन, कृष्ण की मस्ती और शंकराचार्य का गूढ़ ज्ञान समाहित है | श्री श्री की प्यार भरी मुस्कराहट ने लाखों लोगों के दिलों को ही नहीं आत्माओं को जीत लिया है मनो कितने ही जन्मों के दुःख व बुरे कर्म उनके दीदार मात्र से ही नष्ट
हो जाते हैं | श्री श्री सचमुच किसी इश्वर से कम नहीं |

|| लोका समस्त सुखिनो भवन्तु: ||
|| ॐ शांति शांति शांति ||